संस्कृत श्लोक – Best Sanskrit Shlok 2023

संस्कृत श्लोकBest Sanskrit Shlok 2023 – संस्कृत एक भाषा है जो प्राचीन भारतीय सभ्यताओं की भाषा है। संस्कृत भाषा वैदिक सभ्यता के समय से उपलब्ध होती है और इसका उपयोग धर्म, दर्शन, कला, साहित्य, विज्ञान और व्याकरण की शोभा और उनकी विकास की सभी विधियों में हुआ है। संस्कृत भाषा के कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं जैसे कि विशेषता, सुन्दरता और सहजता। इसके अलावा, यह भाषा विभिन्न विषयों के लिए सटीक शब्दों का उपयोग करती है और इसलिए इसे वैज्ञानिक, तार्किक, और दार्शनिक विषयों के लिए उपयोग किया जाता है। संस्कृत एक भारतीय भाषा है जो भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी भाग में विकसित हुई थी। इस भाषा को भारत की सबसे पुरानी लिखित भाषा माना जाता है और यह वैदिक साहित्य, पुराण, धर्मशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, विज्ञान, कला और वास्तुकला के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट है।

संस्कृत भाषा के लिए वर्णमाला संस्कृत लिपि में लिखी जाती है जो देवनागरी लिपि से कुछ अलग होती है। इस भाषा में स्वर और व्यंजन का सही उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण है ताकि शब्दों का सही अर्थ समझ में आ सके।

संस्कृत भाषा व्याकरण और व्याकरणीय सिद्धांतों के लिए भी जानी जाती है। इस भाषा में कुछ मुहावरे और उपयोगी शब्द भी होते हैं जो अन्य भाषाओं में अनुवाद करने में कठिनाई होती है।

श्लोक एक ऐसी कविता होती है जो अनुष्टुभ छंद में लिखी जाती है। श्लोक भारतीय साहित्य के एक अहम भाग है और इसे धर्म, राजनीति, संस्कृति, ज्ञान और नैतिकता के क्षेत्र में उपयोग किया जाता है।

श्लोक का लघुता और गहराई उसे अन्य कविताओं से अलग करती है। इसके लिए आमतौर पर 2 या 4 पंक्तियों का उपयोग किया जाता है जो कि सुलभ उच्चारण और संगीतमय होता है।

श्लोक के उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं:

उपनिषद – असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय॥

भगवद् गीता – अर्जुन उवाच | दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम् | सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति ||

महाउपनिषद्व – सुधैव कुटुम्बकम्।

भगवद् गीता – यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

श्लोक एक संस्कृत छंद है जो भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित एक श्लोक है जिसमें उसका अर्थ भी दिया गया है:-

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥

अर्थ: छोटे बुद्धिवालों की गिनती में यही है कि मेरा-तेरा, पराया-अपना। उसी के विरोध में दृढ़ चरित्र वाले लोगों के लिए संपूर्ण विश्व ही एक परिवार है।

इस श्लोक में बताया गया है कि एक समझदार व्यक्ति उसकी गिनती में मेरा-तेरा नहीं करता है, बल्कि उसके लिए संपूर्ण विश्व एक ही परिवार की तरह होता है। इस श्लोक का अर्थ है कि हम सभी एक ही परिवार के हिस्से हैं और एक दूसरे के साथ उदारता और भाईचारे के साथ रहना चाहिए।

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